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एक फेसबुक मित्र जो कि पिछले कईं महीनों से नौकरी के संबंध मे विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे हैं, ओर वो विदेश में सैटल होने का विचारकर इस दिशा में बहुत लम्बे समय से प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन वो अपने इन प्रयासों में सफल नहीं हो पाए । कल उन्होने मुझे फोन किया तो कहने लगे कि आपका मैं नियमित पाठक हूँ । ज्योतिष विषय में रूचि होने के चलते, कुछ नया सीखने, जानने की इच्छा लिए मैं आपके सहित विभिन्न ज्योतिष विद्वानों के लेख पढता रहता हूँ । जिनके जरिए बहुत कुछ नया जानने को भी मिलता है, किन्तु सभी समूहों पर मैने ये देखा है कि आप लोग ये तो लिख देते हो कि निकट भविष्य में इन राशी के व्यक्ति को ये समस्याएं आएंगी या कुछ ऎसा अनिष्ट/हानिकारक होने वाला है, लेकिन उसके निवारण/मुक्ति का हल कोई नहीं सुझाता। किसी अन्य ज्योतिषीय समूह पर मैने लिखा हुआ पढा भी है कि "समस्या है तो समाधान भी है " लेकिन उनके किसी भी लेख में मुझे आने वाली समस्याओं, परेशानियों,कष्टों के समाधान के बारे में कहीं कुछ लिखा नहीं मिला । भई जब आप बीमारी बता रहे हो तो उसकी दवा भी तो बताईये न----ऎसा तो डाक्टर भी किसी काम का नहीं जो सिर्फ बीमारी तो बता दे लेकिन उस बीमारी की दवा न दे "। उनकी बात सुनकर पहले तो मुझे हँसी भी आई लेकिन खैर जब मैने उसके बाद उनकी जन्मकुंडली देखी तो पाया कि विदेश में जाकर निवास करने का उनके भाग्य में किसी भी प्रकार का कोई योग नहीं है ओर वो इस विषय में चाहे लाख प्रयत्न कर लें किन्तु अन्त समय तक सफल नहीं हो सकते । जब उन्हे मैने ये बात स्पष्ट रूप से बता दी तो उनका फिर से वही सवाल था कि कुछ तो ऎसा उपाय बताईये, जिससे कि मेरी विदेश में सैटिंग हो जाए !
व्यक्तिगत भविष्यकथन तथा राशीगत भविष्यफल में जमीन आसमान की भिन्नता होती है । किसी भी राशी के अनुसार जो भविष्यफल बताया जाता है वो तात्कालीक ग्रह गोचर भ्रमण के अनुसार होता है । जब कि आपकी जन्मकुंडली
भारतीय संस्कृति में प्रत्येक कार्य को करने से पहले उसकी सफलता के लिए शुभ मुहूर्त में उसे प्रारंभ करने की परंपरा चली आ रही है। शास्त्रों में भी प्रत्येक कार्यो के लिए अलग-अलग मुहूर्त सिद्धांत दिए गए जिसके अनुसार पंचांग के माध्यम से गणना कर शुद्ध मुहूर्त की तिथि, वार, नक्षत्र, माह एवं समय का निर्धारण किया जाता रहा है। परंतु कई बार परिस्थितिवश या अन्य किसी कारण से निर्धारित मुहूर्त न मिलने के कारण उस दिन विशेष का चौघड़िया देखकर ही कार्य का संपादन किया जाता है।
पूरे दिन में कुल 24 घंटे होते हैं और कुल 16 चौघड़िये होते हैं। जनसाधारण प्रात:काल 6 से 7.30 प्रथम एवं 7.30 से 9.00 तक दूसरा चौघड़िया मानकर गणना कर लेते हैं परंतु यह गणना सही और सर्वमान्य नहीं है। वास्तव में चौघड़िये की गणना में निर्धारित स्थान के सूर्योदय से सूर्यास्त मध्य के कुल समय में 8 का भाग देने (अर्थात आठ हिस्सों में बांट देने) से जो समय आएगा वह समय एक चौघड़िया का होगा!!
जिस प्रकार दिन का चौघड़िया सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को मानते हैं, उसी प्रकार सूर्यास्त से अगले दिन के सूर्योदय के मध्य के समय को बराबर आठ भागों में बांट कर चौघड़िया चक्र से निर्धारित रात का चौघड़िया ज्ञात किया जा सकता है। रोग, उद्वेग, काल के चौघड़िये अशुभ श्रेणी में आते हैं। लाभ, अमृत, शुभ, चल के चौघड़िये श्रेष्ठ चौघड़िये की श्रेणी में आते हैं। प्रत्येक दिन/रात के पहले चौघड़िया
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